Friday, July 27, 2018

फ़िल्म समीक्षा, 'साहब बीवी और गैंगस्टर-3'

शहज़ाद अहमद - नई दिल्ली
कहानी
इस सीरीज की कहानी उत्तर प्रदेश के एक पूर्व रियासत से जुड़ी है। जिसका मुखिया 'साहेब' (जिमी शेरगिल) है। साहेब की दो पत्नियां हैं। लेकिन उसकी पहली पत्नी से नहीं बनती है। बता दें, ये सीरीज साहेब की जिंदगी में आए तीसरे गैंगस्टर को लेकर बनाई गई है। पिछले दो पार्ट में शान-शौकत के लिए ताकत, रंजिश और राजनीति को बखूबी दिखाया गया है। आजादी के बाद रजवाड़ा परंपरा खत्म हो जाने और नई राजनीतिक व्यवस्था में राजघरानों के अपने वजूद के संघर्ष का फिल्मांकन देखने लायक है। जैसी झलक फिल्म का ट्रेलर देख कर मिलती है वैसी ही पूरी फिल्म की कहानी है। मूवी में रंजिश, बदला, ताकत, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और खोखले वजूद के संघर्ष की कहानी को बखूबी फिल्माया गया है।
तो क्‍या देखनी चाहिए ये फ‍िल्‍म
तिग्‍मांशु धूल‍िया की हर फि‍ल्‍म की तरह इसमें भी आपको कई डायलॉग्‍स शानदार मिलेंगे। मसलन जब नाम ही बचा हो तो काम बचा बचाकर चलना चाहिए या जिंदगी का मजा मैंने बहुत कम लिया है, अब वापस लौटा हूं जिंदगी भर का मजा लेने के लिए। अब ये फ‍िल्‍म के चलने पर निर्भर करता है कि दर्शकों के बीच ये याद क‍ितने रहेंगे।
अगर आप फ‍िल्‍म में कॉमेडी टच ढूंढ रहे हैं तो संजय दत्‍त और चित्रांगदा सिंह का रोमांस आपको हंसी दिला सकता है। दोनों अच्‍छे आर्ट‍िस्‍ट हैं लेकिन ये केमिस्‍ट्री टेस्‍ट पास नहीं कर पाए हैं। तिग्‍मांशु धूल‍िया ने अपनी फ‍िल्‍म में एक और सीक्‍वल का स्‍कोप छोड़ा है। उनके लिए बस इतनी सलाह है कि अगली बार किसी स्‍टार के दबाव में आने की बजाय स्‍क्र‍िप्‍ट में ढलने वाले एक्‍टर ढूंढें।
बार-बार वही। तिग्मांशु धूलिया साहब बीवी और गैंगस्टर की तीसरी कड़ी में नई कहानी पेश करने की कोशिश करते हैं परंतु किरदारों का मूल चरित्र वही रहता है। अतः नई कहानी में नई बात नहीं दिखती यानी ढाक के तीन पात। वही अपनी रियासत के ढहते असर के बीच पूरी क्रूरता और चालाकी से ताकत को बरकरार रखने वाला साहब (जिमी शेरगिल)। वही राजनीतिक शक्ति हासिल करने की महत्वाकांक्षा से भरी बीवी (माही गिल)। ...और लंदन रिटर्न वही गैंगस्टर (संजय दत्त)। गैंगस्टर हर बार बदलता है, तो फिल्म को इस बार संजू के कंधों पर बढ़ाने की कोशिश है परंतु यह हो नहीं पाता। संजू यूं संवाद बोलते हैं जैसे किसी विज्ञापन में हों। अपनी घिस चुकी इमेज बेचने को आतुर। मगर प्रभाव नहीं छोड़ते।
संजू की बाबागिरी-छवि से बॉलीवुड उन्हें निकलने नहीं दे रहा। यह भी कह सकते हैं कि भिन्न किरदारों की नाकामियां संजय दत्त को फिर वहीं धकेल देती हैं। कुल मिलाकर वह गैंगस्टर के रूप में निराश करते हैं। वह अपना ही प्रचार कर रहे हैं। पिछली दो कहानियों की तर्ज पर साहब बीवी और गैंगस्टर-3 बढ़ी है। वही धोखे, वासना, हत्याएं और गोलियों की धांय-धांय हैं। माही गिल भले अदाओं से थोड़ा प्रभावित करें परंतु चित्रांगदा सिंह और सोहा अली खान के हिस्से कुछ खास नहीं है। यहां स्क्रिप्ट राइटिंग 1990 के दशक की लगती है और फिल्म का इसने ही आधे से ज्यादा कचरा कर दिया। लिखने वाले ने दिमाग लगाने की जरूरत नहीं समझी। मेकिंग भी कुछ कुछ वैसी है। आप कुछ नए और बेहतर की उम्मीद नहीं रखे तो ही पैसे फूंकने जाएं।

बॉक्‍स ऑफ‍िस स्‍टेटस
थिएटर्स में संजू और धड़क तो पहले से चल रही हैं और आज साहब बीवी और गैंगस्‍टर के साथ मिशल इंपॉस‍िबल भी रिलीज हो रही है। ऐसे में कोई स्‍टार फैक्‍टर न होने और कोई हिट गाना न होने के चलते देखना ये है कि क्‍या तिग्‍मांशु धूलिया की फ‍िल्‍म अच्‍छी ओपन‍िंग ले पाएगी। हालांक‍ि ट्रेड एक्‍सपर्ट इसकी ओपनिंग 3 करोड़ के आसपास मानकर चल रहे हैं लेकिन अगर पहले दिन देखने वाले इसकी तारीफ नहीं करेंगे तो इसका बिजनेस मिशन इंपॉस‍िबल और धड़क के खाते में चला जाएगा। या फ‍िर संजय दत्‍त को दर्शक संजू के तौर पर ही दोबारा देख लेंगे !


निर्माताः राहुल मित्रा

-निर्देशकः तिग्मांशु धूलिया

-सितारेः जिमी शेरगिल, माही गिल, संजय दत्त, चित्रांगदा सिंह, सोहा अली खान

रेटिंग 2.5/5



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