Sunday, August 12, 2018

समापन समारोह में दी निज़ामी ब्रदर्स और प० जयकिशन महाराज की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा।




शहज़ाद अहमद - नई दिल्ली
5 हज़ार से भी ज्यादा की तादात में दर्शकों ने देखा "अतुल्य भारत" का समापन समारोह
उस्ताद यूसुफ खान ने अपनी कव्वाली के जरिये देशवासियों को दिया देशभक्ति कापैगाम
दिल्ली के राजीव चौक स्थित सेंट्रल पार्क में 5 दिवसीय “अतुल्य भारत”कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महोत्सव में भारतीय संस्कृति की विविध विधाएं प्रस्तुत की गयी। जिनमें शास्त्रीय और लोक नृत्य, संगीत, भारतीय व्यंजन और चित्रकला पर शामिल थी
इस कार्यक्रम में NCZCC के डायरेक्टर श्री इंद्रजीत ग्रोवर ने सभी कलाकारों के साथ दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली के जाने माने उस्ताद यूसुफ खान निज़ामी एवं उनके समूह द्वारा कव्वाली गायन से की गई। भारत देश इनको निज़ामी ब्रदर्स के नाम से भी जानता है। उस्ताद खान प्रसिद्ध कव्वाल गायकों के सिकंदराबाद घराने से सम्बंध रखते है। प्रस्तुति की शुरुआत सूफी देशभक्ति से हुई जिसमें प्यार किए जा प्यार इबादत है से हुई और  फिर छाप तिलक गाकर निज़ामी बंधुओं ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
उस्ताद यूसुफ खान निज़ामी ने दुनिया भर में अपनी कव्वाली से दर्शकों का दिल जीता है एवं कार्यक्रम के दौरान उन्होंने देश से कहा कि धर्म मेरा इस्लाम है, भारत जन्म स्थान। वजू करूं अजमेर में, काशी में स्नान।
इसके बाद प० श्री जयकिशन महाराज के दिशानिर्देशानुसार कथक बैले प्रस्तुत किया गया। जिसमें पहली प्रस्तुति क्रमशः एवं दूसरी प्रस्तुति मेघ मल्हार कुल कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गई। इसमें मेघ से जुड़ी हुई कथक की बन्दिशों को और भाव एवं लालित्य को दर्शाया गया। प० जय किशन महाराज देश के प्रतिष्ठित कथक परिवार से है जिसे लखनऊ के ' कालिका- बिंदादीन घराना' के नाम से जाना जाता है। प० जय किशन पदम् विभूषण प० बिरजू महाराज के सुपुत्र है। कार्यक्रम के दौरान श्री जय किशन महाराज जी ने देश से गुजारिश की की देश को विलुप्त होती धरोहर को पहचानना पड़ेगा।

इस कार्यक्रम के बाद सुश्री अल्पना नायक एवं समूह द्वारा ओडिसी नृत्य किया गया। सुश्री अल्पना नायक ओडिसी नृत्य के चुनिंदा कलाकारों में से एक है, जो समाज में विकास के लिए भारतीय शास्त्रीय और लोक नृत्यों की शिक्षा दिव्यांग बच्चों को प्रदान करती है। सुश्री अल्पना ने ओडिसी शैली में नई रचनाओं को भारत और विदेशों में बढ़ावा देने में अमूल्य योगदान दिया है।
इस कार्यक्रम के बाद सभी प्रदेशों के लोकनृत्य किये गए।असम के 16 कलाकारों ने बिहू एवं वरदोई शिखला नृत्य किया। यह नृत्य फसल कटाई के विभिन्न स्तरों पर व नए मौसम के आगमन पर भी किया जाता है। वरदोई शिखला नृत्य असम के बोड़ो का एक विशेष नृत्य है। इसके बाद अब बारी गुजरात के डांडिया एवं गरबा की थी जो पूरे विश्वभर में मशहूर है। डांडिया गुजरात राज्य का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जिसे नवरात्रि के दौरान किया जाता है। इस नृत्य में करीब 16 कलाकारों ने प्रस्तुति दी। इसके बाद छत्तीसगढ़ का लोकप्रिय नृत्य कर्मा नृत्य पेश किया गया। जिसमें फसल काटने का चित्रण झलका। यह संगीत राग- रागनियों से संबंधित होता है और करीब 17 कलाकारों ने मिलकर इस नृत्य को किया। यह कार्यक्रम दर्शकों को इतना पसंद आया कि दर्शकों ने खड़े होकर भी इसका आनंद प्राप्त किया। इस प्रस्तुति के बाद कश्मीर का प्रसिद्ध बचनागिमा लोकनृत्य किया गया। जिसमें 15 कलाकारों ने यह नृत्य किया। यह नृत्य फसल कटाई के समय पर पुरुषों द्वारा किया जाता है।
इस प्रस्तुति के बाद  उत्तराखंड कुमाऊ का लोकनृत्य छपेली नृत्य प्रस्तुत किया गया। छपेली नृत्य कुमाऊं अंचल के त्योहार एवं मांगलिक कार्यों में किये जाने वाला नृत्य है। इस लोक नृत्य में करीब 15 कलाकारों ने इस नृत्य की प्रस्तुति की।
अतः अंत मे तेलंगाना का प्रसिद्ध लोक नृत्य माथुरी एवं फसलों के ऊपर प्रस्तुत किया गया। माथुरी  नृत्य श्री कृष्ण की नटखट रासलीलाओं को दर्शाता है, और फसलों की अच्छा पैदावार हो इसलिए किया जाता है।
कार्यक्रम का समापन NCZCC के डायरेक्टर श्री इंद्रजीत ग्रोवर ने किया। श्री इंद्रजीत ने सबसे पहले दिल्ली की जनता का शुक्रिया किया कि इतनी बड़ी तादात में दिल्ली की जनता ने अतुल्य भारत कार्यक्रम को अपनाया।



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