Friday, October 26, 2018

फ़िल्म समीक्षा बाजार


शहज़ाद अहमद / नई दिल्ली
'बाजार ' की कहानी शेयरों और कंपनियों की खरीद-फरोख्त से पैसा कमाने वाले सैफ अली खान यानी शकुन कोठारी की है. शकुन कोठारी को पैसा कमाना है, और वह किसी भी तरह से उसे कमाने में यकीन करते हैं. वहां इलाहाबाद जैसे छोटे शहर का रिजवान अहमद यानी रोहन मेहरा है, जिसके बड़े ख्वाब है और जो खुद को प्रूव करने के लिए थूकी हुई कॉफी को भी पी लेता है. शकुन कोठारी उसका आदर्श है, और उसे उसके जैसा ही बनना है. वह मुंबई आता है, और अपने सपनों के पीछे भागने लगता है. रिजवान को प्रिया यानी राधिका आप्टे मिलती है. रिजवान की रफ्तार बहुत तेज है और शकुन का दिमाग. शकुन को पैसा कमाना है और उसे महत्वाकांक्षी युवाओं का इस्तेमाल करना आता है. 'बाजार ' में इस्तेमाल करने और इस्तेमाल होने को जबरदस्त ढंग से दिखाया गया है. फिल्म पूरी तरह से थ्रिलर है और रोमांच से भरी है. गौरव चावला ने बेहतरीन ढंग से एक नई दुनिया रची है, लेकिन अगर सॉन्ग न होते तो फिल्म मारक हो सकती थी. लेकिन बॉलीवुड में इस तरह का प्रयोग वाकई सुखद है.
'बाजार में सैफ अली खान ने शकुन कोठारी का किरदार मंजे हुए ढंग से निभाया है. सैफ अली खान के एक्सप्रेशंस और एटीट्यूड वाकई इस रोल के लिए एकदम परफेक्ट रहा है. फिर 'सेक्रेड गेम्स' के साथ सैफ अली खान  ने जो एक्टिंग को लेकर अपनी इमेज कायम की है, उसे वह यहां भी कायम करने में सफल रहे हैं. रोहन मेहरा ने छोटे शहर के युवा रिजवान का किरदार अच्छे ढंग से निभाया है, कई मौकों पर वे दिल को छू जाते हैं. राधिका आप्टे ने भी अपने किरदार को हमेशा की तरह अच्छे से किया है, हालांकि चित्रांगदा सिंह के पास करने के लिए ज्यादा नहीं है, लेकिन उनके एक्सप्रेशंस बहुत ही कमाल हैं, और उनका चेहरा काफी कुछ कह जाता है.


कलाकार- सैफ अली खान, चित्रांगदा सिंह, राधिका आप्टे, रोहन मेहरा

निर्देशक- गौरव चावला

निर्माता- निखिल आडवाणी

स्टार- 2.0/5

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